Wednesday, April 28

बहारों फूल बरसाओ..:)

सामान पैक हो रहा है, bags / cartons कम हैं और सामन ज्यादा...पर अब थक गए...कल करेंगे..:D ...हमेशा की तरह...:D ..
खैर आज ऑफिस से वापस आते समय किसी ऑटो में ये गाना बज रहा था....



बड़ा महत्त्वपूर्ण है ये गाना उत्तर भारत के लगभग सभी शादीशुदा दम्पत्तियों के जीवन में....फिल्म सूरज का ये गीत जो 1966 में आई थी; तब से मेरे ख़याल से हर दूल्हा दुल्हन के वरमाल के समय, जब दुल्हन हाथ में माल लिए stage की तरफ बढ़ रही होती है (१ दम artificially धीरे-धीरे चलते हुए) तब बजा दिया जाता है....
अपनी शादी को लेके सपने etc मैंने कभी ज्यादा नहीं देखे थे, पर...बस १ और १ दिली तमन्ना थी थी, की मेरी शादी में वरमाल के समय ये गाना न बजे. बहुत ही कम गाने हैं जो मुझे खराब लगते हैं..ये शायद लिस्ट टॉप करेगा..:D
खैर, मैंने इसका तोड़ भी ढून्ढ निकला था, १ बार कई साल पहले १ शादी में, दुल्हन की उस artificial walk के दौरान ये गाना बजाया orchestra वाले अंकल ने....(lyrics पे ध्यान दीजियेगा...:))



वह, और इस गाने ने मेरा मन मोह लिया...:)...उसी दिन मैंने सोच लिया, की शादी जब भी हो, जहाँ भी हो, जिससे भी हो...मेरी उस वरमाला वाली अप्राकृतिक धीमी यात्रा के दौरान ये ही गाना बजेगा...:)
खैर, शादी की भगदड़ में ये बात दिमाग में न जाने कब कहाँ पीछे चले गई....और जैसे ही मैं फूलों की चादर के नीचे, cousins, दोस्तों etc से घिरी बाहर निकली stage की तरफ जाने के लिए ...कानो में गाना गूंजा...."बहारों फूल बरसाओ...मेरा महबूब आया है.....मेरा..महबूब आया....है.."...उफ़....मन किया उसी समय भाग के जाऊं और orchestra पार्टी से कहूँ. भैय्या pls गाना change कर दो...:D ....पर ऐसा हो न सका...गाना बजता रहा...और मैं बढती रही धीरे धीरे stage की तारफ अपने वर को माला पहनाने के लिए...:)

Sunday, April 25

कि तुमसे बेहतर कोई नहीं.....ये हर कली को बताऊंगा....

किसी ने अपने ब्लॉग पे पुराने गानों को श्रद्दांजलि दी हुई थी, कुछ दिन पहले. पुराने गानों से मेरा मतलब ८०-९० के दशक के वो dhinchak गाने हैं, जिनकी छाया में हमारे बचपन और लड़कपन के दिन गुज़रे हैं....वो गाने जिनपे हमने मोहल्ले के हर भैय्या/ दीदी के ladies संगीत में नाचा है, जिनकी ऑडियो कैसेटे को इतने बार सुना है की रील ही चरमरा जाए, जिनमे हेरोइनो के steps कॉपी करने में हमने अपने कई दिन लगाए हैं, और फिर घंटो चर्चा की है की कौन ज्यादा सही छाप पाया है....ऑडियो casette और tape रेकॉर्डर के वो दिन, और उनपे घंटो बजते कुछ अनमोल नगीने....

१. ये गाना मेरा "बारात" गाना है. मुझे लगता था, की ये गाना सिर्फ बारात में बैंड वाले अंकल के गाने के लिए ही बनाया गया है. क्यूंकि इसके अलावा मैंने इसे कभी नहीं सुना था. गाने के बोल हैं.."मय से..मीना से..न साक़ी से......दिल बहलता है मेरा आपके आ जाने से.."...अब अक्सर बारातों में ये कुछ ऐसे गाया जाता था कि मैं सोचती थी कि "मैसेमीनासेनासाकिसे" ..ये कोई एक शब्द है..जिसका कुछ मतलब होता है..जो सिर्फ फिल्मों में ही इस्तेमाल होता है....जैसे साजन, मोहब्बत etc टाइप के कुछ और शब्द जो की असल ज़िन्दगी में तो कभी इस्तेमाल होते नहीं है.. ..:D ..काफी बड़े होने पे समझ में आया...कि गाने "मय".."मीना"..और "साक़ी" कि बात कर रहा है...:)..और गज़ब बात ये है.....कि बारात वाले गवैय्या, इसे बड़ी original singer सी आवाज़ में गाते थे. खैर, गाना मुझे बड़ा ही पसन्द है....१ दम धमाल beats हैं..और lyrics भी अच्छे हैं..:)




२. मैंने "मैंने प्यार किया" का ये गाना चित्रहार में देखा था पहली बार .....कभी कभी १ दम नयी फिल्मों के गाने भी आ जाया करते थे.....बड़ा ही मधुर गाना है..और गाया भी बड़ी खूबसूरती से गया है. इस गाने में १ लाइन है..."ये पगला है समझाने से समझे न..", अब इस गाने में ये गाते हुए..हिरोइन हीरो को pamper कर रही थी..और वो कुछ बच्चों जैसे हरकत कर रहा था....तो मेरे समझदार दिमाग में पहला ख़याल आया..कि फिल्म में लड़का mentally retarted होगा, और ये हिरोइन इसलिए ऐसा गा रही है...:D ....infact गाने में सभी लोग नौका विहार कर रहे हैं, तो मुझे लगा कि ऐसे ही retarted बच्चों को पिकनिक पे लाया गया है....ये भ्रम बहुत दिन बाद टूटा, जब मैंने फिल्म देखी और पाया कि ऐसा नहीं है..:)....खैर ये तब कि बात है जब मैं 3rd -4rth में हुआ करती थी..तो फिल्म वैसे भी कुछ विशेष समझ नहीं आई थी...:)



३. ये गाना था "ladies संगीत" गाना. कालोनी कि हर...मतलब बिला नागा हर शादी में, मुझे और मेरी प्रिय दोस्त अरुणा को बुलाया जाता था, और हम थोड़ी सी ना नुकुर करके, नहीं आंटी...मुझे नहीं आता types ड्रामा करके, platform संभाल लेते थे....कभी कभी तो २-३ लोग १ साथ...बिना किसी तारतम्य के, देखने वाले को समझ ही ना आये..कि किसका dance देखे.....पर हमें (यानी कि हम दोनों और हमारे जैसे कई और कालोनी के budding dancers को) लगता था कि श्रीदेवी और माधुरी में competetion है नंबर १ position के लिए, फिर अगर कोई डांसर है तो बस हम..:D ...:D..खैर, ये गाना १ ऐसा सदाबाहार गाना है कि आज भी हर ladies संगीत कि रौनक बढा सकता है....



४. फिर लम्हे का ये सुपर गाना, जो आज भी उतना ही बेहतरीन लगता है, जितना २० साल पहले लगता था. लम्हे हमारे घर आने वाली first few cassettes में से थी. मुझे याद है ऑडियो cassette में ये गाना abdrupty शुरू हो जाता था, यानी..play का button दबाते ही गाना शुरू, और पहली १-आध लाइन गायब....गाना चलाने के बाद कोई खाली आवाज़ आती ही नहीं थी...इस्पे बड़ी चर्चा हुई...कि cassette खराब आ गयी है..इसे बदल के लाना होगा....जो खैर कभी नहीं हुआ...:)...."मोरनी बागा माँ बोले" इस लाइन पर मेरी सभी सहेलियों के अलग स्टेप्स हुआ करते थे....जिसका स्टेप जितना unique और creative, वो उतना बढ़िया डांसर....:D ...और स्टेप कॉपी करने कि तो बिलकुल नहीं थी, वर्ना आपको बड़ी हेय दृष्टि से देखा जा सकता था...:D ..खैर..मेरा स्टेप कुछ घुटनों के बल बैठ के types होता था...जो काफी जगह घेर लेता था, डांस करते समय....और मुझे बड़ा फक्र था उसपे..:D




५. १९९३ में रंग फिल्म आई थी. उसका ये गाना मुझे बहुत पसंद है...:)..इस गाने को तो मैंने सुन सुन के ख़तम ही कर दिया था...:D ....मुझे याद है, ये film दिव्या भारती की death के बाद आई थी, she died in the first week of April 93 i guess, we were waiting our schools to reopen after the final exams in March and i saw the news in the DD afternoon news. खबर सुनते ही मैं सरपट दौड़ी अरुणा को बताने, क्यूंकि उनके घर में दिन में टीवी थोरा कम ही चला करता था. इस के बाद कई दिन, हमारी हर गोष्ठी में इस अकस्मात् निधन पे काफी गहरी चर्चा होती रही. Infact मेरे बच्चा मन को इस बात ने इतना affect किया था, की मुझे कब ही कभी सपने भी आते थे...की मैं दिव्या भारती की death का investigation kar rahi hun...:O. दिव्या भारती के कोई रिश्तेदार हमारे शहर में रहा करते थे, और १ बार वो किसी शादी में शामिल होने हमारे शहर आयीं थी. तो हमारी क्लास के कुछ बच्चों ने उस बारात को अपनी छत से देखा था, या उस शादी में शामिल हुए थे.....उनकी काफी पूछ रही क्लास में अगले कुछ दिनों तक...:D anyways , this song is melodious, typical kumar sanu-alka yagnik style..:)




६. बाकी, फूल और कांटे फिल्म के ये गीत which thrills me in the same away, even after so many years. I love the way the hero bindaas-ly declares his love to the whole world. सीधे कॉलेज में mice पे जाके announcement करके..:D ..जिसको जो उखाड़ना है उखाड़ ले....lol .प्यार करो तो ऐसे करो..वर्ना ना करो..:D ....गाने में बात है......१ दम dhinchak ..:))....इस फिल्म के बाद हीरो श्री अजय देवगन को संन्यास ले लेना चाहिए था, और हिरोइन को यहीं टिकना चाहिए था. पर वो बेचारी तो रोजा के बाद गायब हो गयी, और ये अंकल अब तक लहरा रहे हैं....



७. १ फिल्म आई थी, जान तेरे नाम....रोनित रॉय aka बजाज ... सास बहु वाले श्रीमान, और १ माधुरी दीक्षित के जैसे वाली दिखने वाली लड़की फरहीन की, उसका १ ये गाना मुझे बहुत पसंद था..:)..आशा भोंसले की आवाज़ में अति उत्तम लगता है..:)....infact इस फिल्म का १ और गाना बड़ा hit था.."first time dekha tumhe hum kho gaya...2nd time mein love ho gaya.."....simplified, time saving प्यार..नो झोल etc....:D.....ये cassette हमारे घर में, माशूक नाम की १ और "कब आई..कहाँ गयी" टाइप मूवी के साथ था...यानी १ cassette में २ फिल्में..जैसे आजकल, CDs में आती हैं फिल्में....




८. दिल फिल्म के दो गाने मुझे बड़े अच्छे लगते थे/ हैं.....ये वाला specially ....:)...साधना सरगम और जगजीत सिंह अपनी आवाज़ में गाली भी दें तो भी अच्छी लगेगी....:)
(इस गाने का JS से कोई लेना देना नहीं है though). उस समय फिल्में देखने तो बहुत मिलती नहीं थीं, इसलिए शायद ये फिल्म मैंने आज तक नहीं देखी है, पूरी that इस. बस इतना याद है की अन्ताक्षरी में अगर "ख" से गाना आ जाए...तो "खम्बे जैसी खड़ी है" कुछ गिने चुने गानों में से होता था, जो हमे आते थे.....:)



९. ये है एक रंगोली स्पेशल गाना.....मुझे याद है, ये गाना almost हर sunday ही रंगोली में आ जाया करता था, इसकी धुन मुझे बड़ी पसंद है..:)...कुछ गुमनाम सी फिमों के कुछ गाने बड़े ही ace types निकल जाते हैं. ये भी उन्ही में से १ था...
infact ऐसा ही १ उत्तम गाना है ये भी.....

आहा...१ ये गाना है; अत्यधिक मधुर...:)..... ऐसे ही १ गुमनाम फिल्म.."कल कि आवाज़" का....इसे apparently किसी पाकिस्तानी फिल्म से चोरा गया है, खैर क्या फरक पड़ता है.....



और १ और मेरा एवेर्ग्रीन favourite गाना..kishen kanhaiyya फिल्म का...:D ...इसकी ये लाइन मेरी by default गुनगुनाने वाली लाइन है.....
"हंसी बहारों में तुमको...फूलों से मैं मिलवाऊंगा..की तुमसे बेहतर कोई नहीं.....ये हर कली को बताऊंगा....फूलों से ज्यादा..क्या मैं हंसी हूँ...दिन में न ख्वाब..दिखाओ तुम"



अनिल कपूर क्या तो हीरो है.... an allrounder when it comes to acting, dance, comedy, screen presence.... १ दम सीटी बजाने types performance ..:)
ये भी उस समय बारातों में धमाल तरीके से बजा करता था....:)

This list can actually never end..:)..with every new song i put here...another one is ready to be tagged along...:)..so will give it rest here, till the time i again feel like enumerating some more jewels of yesteryears....:)

Sunday, April 18

लपूझन्ना और Bangalore की बारिश

Today is a special day. I am happy in a very different way, the way it use to be some 5-6 years back. rain God is showering blessings over Bangaluru, would soon be moving to Gurgaon, and it has finally struck me, that my abode for last three years is going to change soon. I am happy, excited and a bit apprehensive also.....all these days it was quite hot here, and the selfish me was in a way happy, that i would be moving from a not so pleasant Bangalore to Ggn and hence would not miss Bangalore weather too much...:D... But, all my wicked thoughts are being washed away every day with full showers in the evenings....so have changed my outlook, let me soak myself in the pleasant evenings of the city for a few more days....:)
Ok, so as i said today is special and hence should be marked with something very special...:)
Few days ago, N gave link of a new blog. lapoojhanna.blogspot.com. I have been a part of blogspace for past two years now. have read many interesting/ intelligent/ funny/ humorous blogs during this time. BUT, no blog like lappojhanna till now. Its unbelievably humorous and captivating. Or i would say addictive. I finished reading all the blog post series this weekend in two sittings.
मतलब कहना ऐसा रहेगा, की जिन अशोक पांडे नाम के सज्जन ने ये लिखा है, उन्होंने क्या तो पकड़ा है छोटे शहरों के middle क्लास एक्सपेरिएंस को. हर character को इतना clearly aur strongly define किया है पूरी सिरीस में, की आप दिमाग में १ पूरा नक्षा बना सकते हैं हर पात्र का, और शायद अगर असल जीवन में कभी मिल जाएँ तो पहचान भी सकते हैं..:) (ऐसा मुझे Shantaaram और Kite Runner पढ़के भी लगा था ) उत्तराँचल में रामनगर नाम के १ प्लेन्स के कसबे के कुछ पात्रों (mainly लफ्तू और पाण्डेय जी स्वयं) के बचपन के जीवन का कुछ ऐसा विवरण किया है लेखक ने, कि रामनगर की १ तस्वीर सी खिंच जाती है दिमाग में; और कुछ posts पढने के बाद, आप कहानी का हिस्सा ही बन जाते हैं। लेखक का ओब्सेर्वेशन अमेज़िंग है, इतना बारीकी से सन ७० के दशक में भारत के हज़ारों कस्बों में से किसी १ में रहने वाले बच्चों के मन, मस्तिष्क में उत्पन्न होने वाले विचारों और भावनाओं को कागज़ पे उतारा है, कि बस पढ़ने वाला वाह वाह ही कर उठे.... और सबसे खूबसूरत बात ये...कि सारी कहानी में हास्य का इतना गहरा और रोचक पुट है....कि हँसते हँसते आँखों से पानी आ जाए..पेट दर्द करने लगे...और आप सचमुच "रोलिंग ऑन the फ्लोर" हो जाएँ।
शब्दावाली के साथ ऐसा creative experiment कि हर पोस्ट में कम से कम १२-१५ हीरे तो आसानी से मिल जायेंगे...:)....परजोगसालासहायकार्धांगिनी (लैब assisstant की धरमपत्नी), सार्वजनिक मारपीटीकरण और अपमानीकरण.....उनमे से कुछ हीरे हैं...:)
तहे दिल से धन्यवाद लेखक का और N का, जिन्होंने इस ब्लोगाधिपति से परिचय करवाया...:)
बाकी आज शाम से कुछ मस्त गाने सुने जा रहे हैं, जो कि इस अच्छे मूड पे और चार चाँद लगा रहे हैं...:) ..

Tuesday, April 13

Awarded!

Just before when my dearie Blogu is about to turn an year old, dear friend P has awarded it "Cherry on the Top" award...:). This is my first award in blog world. I am heppy...very heppy..:)

So here are the rules to recieve this award:
1. Thank the person that gave this to you
Thank you so much Prats for this wonderful award, as i said above i am heppy...:)); I knew that if at all i get any of these blogowards; it would and can only come through you..:D.
2. Copy the award and put it on your blog-Aalready dones..:)
3. List 3 things you love about yourself -abhi likhte hain...
4. Post a picture you love (e.g a person you adore etc.)..wokies
5. Tag 5 people you wish to pass this award on to ...theek hai..

Now me need to put three things i love about myself..."he he he"..(animated..:D)...teen se mera kya hoga...:D, so here are three of the many things i love about myself...
1. I love the fact that i can get along with most people quite well, i generally start with a positive opinion about ppl, until proved otherwise.
2. I can easily put my opinions/ thoughts across in a very honest manner whenever needed, it helps me keep my head and heart light, and also helps in building bonds, mostly.
3. I can sleep for real long hours..:D. I love this thing about me, touch wood, but i have seen me loosing apetite, hair, and what not due to tensions and problems ...but never sleep. And i like it...:). Khuda meherbaan rahe!

Now i have to put a favourite pic of mine here. Ok, though there are many, but one which is coming to my mind right now is this one...
My mum dad, at a chai ki dukaan in Badrinath. We went there last year, and it was after a long time i went with my parents on a short but wonderful vacation. I simply love the smiles and happiness in this pic. It reflects the warmth, love and companionship from their long years of togetherness...:)...touchwood!

And i give this award to these five people...
1. Bangaloremom
2. Tushti (likho bhai..kuch to likho...)
3. Mayank the great..:) (ab to naukri ki tension bhi nahi, blog hi update kar le)

..aur aap log award accept karen, tag na bhi karen to chalega...:)
4. Neeraj Sir
5. Dr. Anurag
Aaj Bangalore mein baarish hui, badi raahat mili tapti dhoop se....achche mausam ke liye ek achcha gaana....:)
are wah...kya picturization hai..:)
Aur isse aur bhi achcha...ye gaana...:)

Sunday, April 4

दिन पुराने..

I finished reading MIHYAP today. Shri greatbong ne badi achchi kitaab likhi hai. The DD generation kids are going to like it for sure. Now when i look back, the trasition appears so clear, from the almost restrictied economy and one channel days to the sudden changes in 92-93, with economic liberalization and with that the deluge of new avenues opening to the Indian youth.
The scenario then chnaged very fast..and suddenly our good old Doordarshan also became a thing of past.....the book touches some sublte and some prominent facets of those times....the times of much limited opportunities, resources and of course entertainment..:)

किताब पढके कुछ अपने बचपन के दूरदर्शन दिन याद आ गए....:D

१. वो दूरदर्शन के दिन भी क्या ही दिन थे....:)......१ दम unique experience, मुझे याद है अक्सर टीवी देखते समय कभी कभी स्क्रीन धुंधली होने लगती थी, या मच्छर types आने लगते थे....तो दिमाग में पहली बत्ती जलती थी, की ज़रूर antennae में कुछ गड़बड़ होगी तो दौड़ के हम तीनों (भाई बहनों) में से कोई छत पे जाता था, और वहीँ पर रखे १ लम्बे बांस से antennae को ठीक करने (घुमाने/ मारने) की कोशिश करने लगता "ठीक हुआ"..."अब ठीक है"...."और घुमाओ"...."मनु, जैसे कल किया था वैसे ही करो"...जैसे कई निर्देशों के आदान प्रदान के बाद.....अमूमन २-१५ मिनट की कोशिश के बाद अक्सर टीवी महाराज ठीक हो ही जाया करते थे.....ये सिलसिला शायद ९५ में बंद हुआ होगा, जब घर में cable लग गया ..:)

२. Bollywood के फैन तो हम बचपन से ही थे, उस समय नयी फिल्मों के गानों की १ झलक देखने के लिए, Wed या Friday को चित्रहार का इंतज़ार करना पड़ता था उसमे भी कोई gaurantee नहीं की भाई latest गाने आ ही जायेंगे तो, अखबार के "आज के कार्यक्रम" हिस्से में पढ़ के पता चला, की DD 2, यानी DD Metro नाम का १ DD1 का भाई चैनल है, जिसपे Sat या Sun को रात को कोई Superhit Muqabla नाम का show आता है , जिसमे कि सप्ताह के सबसे popular गाने दिखाए जाते हैं Baba the Great Sehgal ने इसका title song गाया था..:). अब DD2 तो हमारे यहाँ आता नहीं था, वो तो सिर्फ metros में आता था....तो क्या किया जाए, हमें कहीं से पता चला..कि दिल्ली के आस पास वाले शहरों में metro आता है...हमारा शहर दिल्ली से ठीक 299 km दूर है..:)..और आप कितनी भी कोशिश कर लें channels बदल बदल के TV पे ज़ुल्म ढाने की, आप "superhit" तो क्या, कोई flop मुकाबला भी नहीं देख पाएंगे, पर जैसा की मैंने जीवन के कुछ ३०-..:D सावन/ भादों/बसंत/ बहार के बाद जाना है, की मैं बचपन से ही बड़ी जुझारू प्रकृति की हूँ....ऐसे ही सुनी सुनाई बातों पे विश्वास करना...वो भी उन अनमोल गानों के लिए.....मुझे बिलकुल भी मंज़ूर नहीं था........तो बस फिर शुरू हुआ channels adjust करने का सिलसिला, anteannae कि दिशा बदलने का कार्यक्रम, और भी न जाने क्या क्या....बहुत कोशिशों बाद किसी १ channel पे metro आता महसूस सा हुआ....बस इतना..की आप पता ही कर पाए..की ये DD1 के अलावा कोई और चैनल है.....यानी मेट्रो है...:)..:)..:)...पर....."Sehgal" जी की सुरीली आवाज़ में शुरू होने वाला वो मुकाबला हम और हमारे जैसे कई फिल्मों के दीवानों की किस्मत में नहीं था....बहुत कोशिशों के बावजूद ये पाया गया..की "reception" बहुत ही खराब है...और अगर इसी तरह इस TV के कान खींचते/ मरोड़ते रहे तो कुछ और हो न हो..पिताजी अपनी इस मेहनत की कमाई से ऐसा दुराचार कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे, और किसी दिन हमारे ही कान खींचे हुए पाए जायेंगे...तो हम..यानी की मैं और मेरी प्रिय सहेली अरुणा, जो की इस और इस जैसे कई और सर्कसों में मेरी साथी हुआ करती थी.... ने अंततः हार मान ली..और वापस रुख किया..रंगोली और चित्रहार की ओर.:)

DD से जुडी बड़ी सारी बातें हैं जो याद हैं, और किताब में बड़े ही रोचक तरीके से ८० और ९० के दशक में सर्वव्यापी prcatices का विवरण किया है...:)...फिर वो चाहे दूरदर्शन हो, या advent of internet या बॉलीवुड का असर.....Greatbong ने लोहा और गुंडा फिमों का भी अनोखा विवरण किया है..:)...दोनों ही फिल्मों पर इतनी गूढ़ दृष्टि डालने के लिए उनका बहुत बहुत शुक्रिया...:)
खैर, दूरदर्शन पे १ चिटठा कुछ भी नहीं है...:).....

बहुत देर से youtube से कुछ पुराने अच्छे धारावाहिकों के title songs download करने की कोशिश कर रही हूँ ताकि वो यहाँ चेपे जा सकें और माहौल को और रूचिपूर्ण किया जा सके, पर लगातार असफलता ही हाथ लग रही है, १२:०० से ऊपर समय हो चूका है, और ये पोस्ट कल पर टालने का मन नहीं है......तो मैं ऐसे ही याद कर लेती हूँ DD 1 के कुछ पुराने serials जो मुझे विशेष प्रिय थे..:)
सुरभि.....और उसका वो "प्रभादेवी, मुंबई" वाला address...:)
दाने अनार के....एवं मुंगेरी लाल के हसीन सपने...दोनों में ही रघुवीर यादव थे....पता चला है की आजकल वो missing हैं..:O
कशिश- मालविका तिवारी और सुदेश बेरी के amazing romance की कहानी..:)
तस्वीर- ये Sun को ११ बजे के आसपास आया करता था, बड़ी मुश्किल से इसे देखने की इजाज़त मिली थी, शायद exams से कुछ दिन पहले ही शुरू हुआ था.
.तलाश- किसी उपन्यास पर आधारित, विजयेन्द्र घाटके और नीलिमा अज़ीम (अपने शहीद कपूर की मम्मी..:)) और इसका title song पुरानी फिल्म तलाश से ही था...
होनी अनहोनी- ये Thursday को आता था...अजीब पर अच्छा
Stone Boy- aha....a story about the kids of an Indian family in Mauritius, the young boy meets a stone boy (who was once a stone or something)...and the adventures that follow....i wish i could get this series from somewhere..btw the kid who played the stone boy -Ankur Jhaveri also played Arjun jr in Mahabharat,...
Flop Show,..he he..naam hi kaafi hai..:D
नीम का पेड़, हम लोग, किले का रहस्य.. रंगोली.. the Sat/ Sun movies..... one post as i said is nothing to revisit the DD memory lane...:)