कुछ दिन पहले पति के साथ कुछ बात हो रही थी..और बातों बातों में इंजीनियरिंग के दिनों के viva का ज़िक्र आ गया.....इंजीनियरिंग कॉलेज में किये गए फर्जी कामों की लिस्ट में सेमेस्टर एंड में होने वाले vivas की १ अलग ही जगह है......पूरे सेमेस्टर labs में रोज़ अलग अलग लीलाएं होतीं थीं....और उनकी इतिश्री होती थी सेम एंड viva voce में.......हमारे 3rd सेमेस्टर में almost सभी subjects इलेक्ट्रोनिक्स/ इलेक्ट्रिकल के थे...और हमारे कॉलेज की इलेक्ट्रोनिक्स की faculty इस दुनिया के सबसे sadist लोगों को मिला के बनायीं गयी thi...१ से बढ़ कर १.....उनका जीवन में बस १ ही मकसद था...विद्यार्थियों की वाट लगा के रखना...हर दिन...हर क्लास में..हर viva में...और ofcourse ..हर exam में.....प्रक्टिकल क्लास्सेस में अक्सर इनका झुण्ड १ ही lab में आ जाता था....और हर हफ्ते किसी नयी तरह से हमारे तीन घन्टे बर्बाद किये जाते थे...खैर....उन labs में क्या नाटक होते थे..ये कभी और.....अभी ज़िक्र रहेगा इलेक्ट्रिकल measurements एंड measuring इंस्ट्रुमेंट्स....(EMMI) के प्रक्टिकल एक्साम का...theory एक्साम्स ख़तम होने के बाद practicals हुए...generally प्रक्टिकल एक्साम वाले दिन ही उसका viva भी हो जाया करता था....अगर external examiner न हुआ..तो उसके अगले दिन....पर उस बार...examiner की availaability थोड़ी मुश्किल हो गयी...EMMI और Network Analysis एंड Synthesis दो subjects के practicals हो गए और ये बताया गया की दोनों के ही viva २-३ दिन बाद होंगे.........एक्साम्स क्यूंकि ख़त्म हो चुके थे...और viva को हमने कभी इतना important समझा ही नहीं की उसकी चिंता की जाए...तो सभी लोग एक्साम्स ख़तम होने की ख़ुशी मानाने लगे.....हमारा सालाना जलसा.."उत्सव" भी आने वाला था..तो काफी जनता उसकी तैय्यारी में जुट गयी...प्रक्टिकल एक्साम के लगभग ३ दिन बाद खबर आई की भाई आज...EMMI का viva है...viva १ फोर्मलिटी भर हुआ करती थी ५० numbers का हिसाब देने की university को...तो १ साथ ५ छात्रों को कमरे में बुला लिया जाता था....और १५-२० मिनट तक छात्रों का ragging session चलता था...जिसमे external examiner समोसे और चाय पे ध्यान केन्द्रित रखता था.....और हमारी faculty अपने जन्म भर के frustrations का बेपरवाह छात्रों से बदला ले रही होती थी.....खैर.....रोल नंबर के हिसाब से ५-५ करके जनता अंदर जा रही थी......१ झुण्ड के बाहर आते ही सब उनपे लपक लेते थे..की भाई बताओ जो १- आध सवाल दागे गए हों अंदर syllabus से...उन्ही के answers रट लिए जाएँ.....examiner घर से कोई ८-10 सवालों की पोटली लाता था..और सभी १२-१५ batches से वही सवाल पूछे जाते थे.....
खैर इसी सरपट बाजी में...१ batch गया अंदर.....अंदर गए ५ लोगों में हमारे १ मित्र थे..श्री अनुपम जैन....जो की batch के कुछ .हंसमुख...easygoing ..लोगों में से थे...इनके चेहरे पे टेंशन शायद ही ४ साल में किसी ने देखी होगी...ये localite थे...और अपनी शान की सवारी..हीरो puch पे कॉलेज आया करते थे....3rd सेमेस्टर तक इनसे कोई विशेष दोस्ती तो नहीं हुई थी...पर इनके टेंशन फ्री attitude को जनता ने जान लिया था...खैर......पाँचों जन ने examiner और internal faculty के सामने अपनी अपनी सीटें ले लीं...और pseudo राग्गिंग चालू हो गयी....batch में १ और सज्जन गए थे ..जो की क्लास के सबसे हुर्ष्टपुष्ट और विशाल जीवों में से थे...पर स्वभाव से काफी गंभीर थे...उनसे examiner ने १ सवाल पूछा...जिसका उत्तर देने के लिए उन्होंने सोचना शुरू किया....(या शायद सोचने का नाटक शुरू किया)......खैर ...जब वहां से कोई उत्तर नहीं आया तो ..सवाल अगले छात्र पर carry फॉरवर्ड कर दिया गया.....सवाल टालने का ऐसा ही सिलसिला चल रहा था कि जैन साहब को अचानक हंसी आ गयी.....आपको सवाल का जवाब न आये..कोई बात नहीं....आप गर्दन झुका के बैठे रहे..कोई बात नहीं...पर अगर viva के उस concentration कैंप में.. आप हंस गए...किसी हंसी की बात पर भी...तो समझ लीजिये की आज आपका बड़ा दिन है.....जैन साहब को हँसता हुआ देख कर दोनों नरभक्षी जीवों ने उनकी ओर रुख किया...और उनसे जवाबदारी शुरू कर दी...उनकी हंसी पर २-४ लानतें फेंक कर ...उनसे कहा गया कि आप बताइये जवाब क्या होगा...... .अब सवाल जैन साहब के पाले में था...कहने की ज़रुरत नहीं है..उत्तर का तनिक भी आईडिया उन्हें नहीं था...और जितना उन्हें जाना है इतने समय में..उन्होंने शायद सवाल भी नहीं सुना था जब वो पहली बार उनके संगी से पुछा गया था.....जब जैन साहब के मुख से उत्तर का अवतरण नहीं हुआ तो ये तय हो गया कि आज की limelight के हकदार श्री जैन ही हैं....:) बाकी जनता राहत कि सांस ले रही थी कि अब बचे हुए समय में गुरु जन इन्ही की लंका लगायेंगे.....
जैन साहब को १ और मौका देते हुए एक्सामिनेर ने पूछा....कि चलिए कोई बात नहीं... आप ये ही बता दीजिये कि आपने प्रक्टिकल में कौन सा एक्सपेरिमेंट किया था...:)..ठंडी सांस लेते हुए...हमारे प्रिय मित्र ने अपने दिमाग पे जोर डाला...बहुत डाला....पर एक्साम्स ख़तम होने कि ख़ुशी शायद कुछ ज्यादा ही मन चुकी थी...दिमाग ने respond करने से मना कर दिया....और थोडा सकपकाते हुए अनुपम महाराज ने कहा.."सर वो तो अब याद नहीं.."...:D ......माहौल अब गरमा चुका था....दोनों गुरुजन स्तिथि का लुत्फ़ लेने के पूरे मूड में आ चुके थे.... इतने "कूल" छात्रों से सामना रोज़ रोज़ कहाँ हुआ करता है....मस्त हैं अपनी ही दुनिया में....खैर....एक्सामिनेर साहब का दिल थोडा पसीजा और उन्होंने सवाल को थोडा और आसान बनाते हुए और प्रक्टिकल में पूछे जाने वाले सवालों को १ अलग ही ऊँचाई पे ले जाते हुए पूछा....भाई..अच्छा आप ये ही बता दीजिये की आप कौनसे subject का viva देने आये हैं??.....:D ...अब भला ये भी कोई सवाल हुआ....माना प्रक्टिकल किये हुए ज्यादा दिन हो जाने के कारण हमें एक्सपेरिमेंट का नाम न याद हो....पर ये तो पता ही है की प्रक्टिकल किस subject का दिया था.....जैन साहब ने poore आत्मविश्वास के साथ इस सवाल को लपकते हुए झट से जवाब दिया....सर.... नेटवर्क सिंथेसिस एंड analysis ...:O .....इतना सुनना था कि सवाल पूछने वाले विद्वानों ने हार मान ली...और बाइज्ज़त श्री अनुपम जैन और बाकी छात्रों के झुण्ड को बाहर भेज दिया....:)...आज का उनका entertainment dose ज़रुरत से ज्यादा हो चुका था.....इतने की उन्हें आदत नहीं थी....:P ..
खैर..हमारे परम मित्र श्री अनुपम जैन प्रक्टिकल के उन बेमतलब क्लास्सेस से अब तक जीवन के कई milestones पार कर चुके हैं.....पिछले महीने की २१ तारिक को वे १ बेटे के पिता बने...:)...जीवन के इस सर्व्शेष्ठ्र achievement पर उन्हें बहुत बहुत बधाइयाँ....:)...
आज के Friday मूड के लिए ये गाना....
खैर इसी सरपट बाजी में...१ batch गया अंदर.....अंदर गए ५ लोगों में हमारे १ मित्र थे..श्री अनुपम जैन....जो की batch के कुछ .हंसमुख...easygoing ..लोगों में से थे...इनके चेहरे पे टेंशन शायद ही ४ साल में किसी ने देखी होगी...ये localite थे...और अपनी शान की सवारी..हीरो puch पे कॉलेज आया करते थे....3rd सेमेस्टर तक इनसे कोई विशेष दोस्ती तो नहीं हुई थी...पर इनके टेंशन फ्री attitude को जनता ने जान लिया था...खैर......पाँचों जन ने examiner और internal faculty के सामने अपनी अपनी सीटें ले लीं...और pseudo राग्गिंग चालू हो गयी....batch में १ और सज्जन गए थे ..जो की क्लास के सबसे हुर्ष्टपुष्ट और विशाल जीवों में से थे...पर स्वभाव से काफी गंभीर थे...उनसे examiner ने १ सवाल पूछा...जिसका उत्तर देने के लिए उन्होंने सोचना शुरू किया....(या शायद सोचने का नाटक शुरू किया)......खैर ...जब वहां से कोई उत्तर नहीं आया तो ..सवाल अगले छात्र पर carry फॉरवर्ड कर दिया गया.....सवाल टालने का ऐसा ही सिलसिला चल रहा था कि जैन साहब को अचानक हंसी आ गयी.....आपको सवाल का जवाब न आये..कोई बात नहीं....आप गर्दन झुका के बैठे रहे..कोई बात नहीं...पर अगर viva के उस concentration कैंप में.. आप हंस गए...किसी हंसी की बात पर भी...तो समझ लीजिये की आज आपका बड़ा दिन है.....जैन साहब को हँसता हुआ देख कर दोनों नरभक्षी जीवों ने उनकी ओर रुख किया...और उनसे जवाबदारी शुरू कर दी...उनकी हंसी पर २-४ लानतें फेंक कर ...उनसे कहा गया कि आप बताइये जवाब क्या होगा...... .अब सवाल जैन साहब के पाले में था...कहने की ज़रुरत नहीं है..उत्तर का तनिक भी आईडिया उन्हें नहीं था...और जितना उन्हें जाना है इतने समय में..उन्होंने शायद सवाल भी नहीं सुना था जब वो पहली बार उनके संगी से पुछा गया था.....जब जैन साहब के मुख से उत्तर का अवतरण नहीं हुआ तो ये तय हो गया कि आज की limelight के हकदार श्री जैन ही हैं....:) बाकी जनता राहत कि सांस ले रही थी कि अब बचे हुए समय में गुरु जन इन्ही की लंका लगायेंगे.....
जैन साहब को १ और मौका देते हुए एक्सामिनेर ने पूछा....कि चलिए कोई बात नहीं... आप ये ही बता दीजिये कि आपने प्रक्टिकल में कौन सा एक्सपेरिमेंट किया था...:)..ठंडी सांस लेते हुए...हमारे प्रिय मित्र ने अपने दिमाग पे जोर डाला...बहुत डाला....पर एक्साम्स ख़तम होने कि ख़ुशी शायद कुछ ज्यादा ही मन चुकी थी...दिमाग ने respond करने से मना कर दिया....और थोडा सकपकाते हुए अनुपम महाराज ने कहा.."सर वो तो अब याद नहीं.."...:D ......माहौल अब गरमा चुका था....दोनों गुरुजन स्तिथि का लुत्फ़ लेने के पूरे मूड में आ चुके थे.... इतने "कूल" छात्रों से सामना रोज़ रोज़ कहाँ हुआ करता है....मस्त हैं अपनी ही दुनिया में....खैर....एक्सामिनेर साहब का दिल थोडा पसीजा और उन्होंने सवाल को थोडा और आसान बनाते हुए और प्रक्टिकल में पूछे जाने वाले सवालों को १ अलग ही ऊँचाई पे ले जाते हुए पूछा....भाई..अच्छा आप ये ही बता दीजिये की आप कौनसे subject का viva देने आये हैं??.....:D ...अब भला ये भी कोई सवाल हुआ....माना प्रक्टिकल किये हुए ज्यादा दिन हो जाने के कारण हमें एक्सपेरिमेंट का नाम न याद हो....पर ये तो पता ही है की प्रक्टिकल किस subject का दिया था.....जैन साहब ने poore आत्मविश्वास के साथ इस सवाल को लपकते हुए झट से जवाब दिया....सर.... नेटवर्क सिंथेसिस एंड analysis ...:O .....इतना सुनना था कि सवाल पूछने वाले विद्वानों ने हार मान ली...और बाइज्ज़त श्री अनुपम जैन और बाकी छात्रों के झुण्ड को बाहर भेज दिया....:)...आज का उनका entertainment dose ज़रुरत से ज्यादा हो चुका था.....इतने की उन्हें आदत नहीं थी....:P ..
खैर..हमारे परम मित्र श्री अनुपम जैन प्रक्टिकल के उन बेमतलब क्लास्सेस से अब तक जीवन के कई milestones पार कर चुके हैं.....पिछले महीने की २१ तारिक को वे १ बेटे के पिता बने...:)...जीवन के इस सर्व्शेष्ठ्र achievement पर उन्हें बहुत बहुत बधाइयाँ....:)...
आज के Friday मूड के लिए ये गाना....
9 people have something to say...:
I can so see this happening... :-)
he he he...:)
ahh dimaag taro taaza ho gaya.
Mast post hai.Ab itna major kuch hota nahin ki hanste hanste haalat khusta ho jaaye :)
Ati-uttam. Mastam...
Vakai dimaag refresh ho gaya, aisa laga mano 9 saal purani nahi balki abhi ki hi baat ho. BTW kuch tadka bhi hai LEKH me. But tadake ne chaar-chaand laga diye :)))))))))
Aapki pyari si shubh-kaamnaon ke liye, bahut bahut dhanyavaad, shukriya...
हा हा मजा आ गया, अपने पुराने दिन याद दिला दिये आपने... आज से १८ वर्ष पुरानी यादों में पहुँच गये थे...
सुन्दर पोस्ट व गीत।
Umdaa hain chappan chhuri :)
डी सी धुवकारिया उर्फ़ ई. आई. बिल्डिंग का राका (राका के बारे में जानने के लिये पढें, चाचा चौधरी और साबू)....
प्रैक्टिकल एक्जाम: एक्टर्नल एक्जामिनर बैठ कर समोसे और चाय तोड रहा है और यहां साहू के ठेले पर तक जाने की फ़ुरसत नही मिली। पांच लोग अन्दर घुसते हैं, धुवकारिया कुछ पूछता है...तुम बताओ (जवाब देना शुरू करने से पहले ही दूसरे स्टूडेंट की तरफ़ देखकर धुवकारिया), तुम बताओ, तुम बताओ, तुम बताओ...
किसी को नहीं पता, सब गधे हो...जाओ...
वाह, प्रेक्टिकल एक्जाम खतम :)
मुझे लगता है BIET के ऊपर एक पूरी सीरीज शुरू करूं अपने ब्लाग पर, क्या ख्याल है?
Lovely. Fun reading. Anuja directed me to your blog.
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