Today is a special day. I am happy in a very different way, the way it use to be some 5-6 years back. rain God is showering blessings over Bangaluru, would soon be moving to Gurgaon, and it has finally struck me, that my abode for last three years is going to change soon. I am happy, excited and a bit apprehensive also.....all these days it was quite hot here, and the selfish me was in a way happy, that i would be moving from a not so pleasant Bangalore to Ggn and hence would not miss Bangalore weather too much...:D... But, all my wicked thoughts are being washed away every day with full showers in the evenings....so have changed my outlook, let me soak myself in the pleasant evenings of the city for a few more days....:)
Ok, so as i said today is special and hence should be marked with something very special...:)
Few days ago, N gave link of a new blog. lapoojhanna.blogspot.com. I have been a part of blogspace for past two years now. have read many interesting/ intelligent/ funny/ humorous blogs during this time. BUT, no blog like lappojhanna till now. Its unbelievably humorous and captivating. Or i would say addictive. I finished reading all the blog post series this weekend in two sittings.
मतलब कहना ऐसा रहेगा, की जिन अशोक पांडे नाम के सज्जन ने ये लिखा है, उन्होंने क्या तो पकड़ा है छोटे शहरों के middle क्लास एक्सपेरिएंस को. हर character को इतना clearly aur strongly define किया है पूरी सिरीस में, की आप दिमाग में १ पूरा नक्षा बना सकते हैं हर पात्र का, और शायद अगर असल जीवन में कभी मिल जाएँ तो पहचान भी सकते हैं..:) (ऐसा मुझे Shantaaram और Kite Runner पढ़के भी लगा था ) उत्तराँचल में रामनगर नाम के १ प्लेन्स के कसबे के कुछ पात्रों (mainly लफ्तू और पाण्डेय जी स्वयं) के बचपन के जीवन का कुछ ऐसा विवरण किया है लेखक ने, कि रामनगर की १ तस्वीर सी खिंच जाती है दिमाग में; और कुछ posts पढने के बाद, आप कहानी का हिस्सा ही बन जाते हैं। लेखक का ओब्सेर्वेशन अमेज़िंग है, इतना बारीकी से सन ७० के दशक में भारत के हज़ारों कस्बों में से किसी १ में रहने वाले बच्चों के मन, मस्तिष्क में उत्पन्न होने वाले विचारों और भावनाओं को कागज़ पे उतारा है, कि बस पढ़ने वाला वाह वाह ही कर उठे.... और सबसे खूबसूरत बात ये...कि सारी कहानी में हास्य का इतना गहरा और रोचक पुट है....कि हँसते हँसते आँखों से पानी आ जाए..पेट दर्द करने लगे...और आप सचमुच "रोलिंग ऑन the फ्लोर" हो जाएँ।
Ok, so as i said today is special and hence should be marked with something very special...:)
Few days ago, N gave link of a new blog. lapoojhanna.blogspot.com. I have been a part of blogspace for past two years now. have read many interesting/ intelligent/ funny/ humorous blogs during this time. BUT, no blog like lappojhanna till now. Its unbelievably humorous and captivating. Or i would say addictive. I finished reading all the blog post series this weekend in two sittings.
मतलब कहना ऐसा रहेगा, की जिन अशोक पांडे नाम के सज्जन ने ये लिखा है, उन्होंने क्या तो पकड़ा है छोटे शहरों के middle क्लास एक्सपेरिएंस को. हर character को इतना clearly aur strongly define किया है पूरी सिरीस में, की आप दिमाग में १ पूरा नक्षा बना सकते हैं हर पात्र का, और शायद अगर असल जीवन में कभी मिल जाएँ तो पहचान भी सकते हैं..:) (ऐसा मुझे Shantaaram और Kite Runner पढ़के भी लगा था ) उत्तराँचल में रामनगर नाम के १ प्लेन्स के कसबे के कुछ पात्रों (mainly लफ्तू और पाण्डेय जी स्वयं) के बचपन के जीवन का कुछ ऐसा विवरण किया है लेखक ने, कि रामनगर की १ तस्वीर सी खिंच जाती है दिमाग में; और कुछ posts पढने के बाद, आप कहानी का हिस्सा ही बन जाते हैं। लेखक का ओब्सेर्वेशन अमेज़िंग है, इतना बारीकी से सन ७० के दशक में भारत के हज़ारों कस्बों में से किसी १ में रहने वाले बच्चों के मन, मस्तिष्क में उत्पन्न होने वाले विचारों और भावनाओं को कागज़ पे उतारा है, कि बस पढ़ने वाला वाह वाह ही कर उठे.... और सबसे खूबसूरत बात ये...कि सारी कहानी में हास्य का इतना गहरा और रोचक पुट है....कि हँसते हँसते आँखों से पानी आ जाए..पेट दर्द करने लगे...और आप सचमुच "रोलिंग ऑन the फ्लोर" हो जाएँ।
शब्दावाली के साथ ऐसा creative experiment कि हर पोस्ट में कम से कम १२-१५ हीरे तो आसानी से मिल जायेंगे...:)....परजोगसालासहायकार्धांगिनी (लैब assisstant की धरमपत्नी), सार्वजनिक मारपीटीकरण और अपमानीकरण.....उनमे से कुछ हीरे हैं...:)
3 people have something to say...:
सच में लपूझन्ना कि बात ही कुछ और है.. अगर मुझे कोई कहे दस हिंदी के ब्लॉग का नाम बताओ तो पहले दो तो अशोक पांडे जी का ही ब्लॉग होगा.. एक लपूझन्ना और दूसरा कबाडखाना..
जब यह पोस्ट आपने लिखा था तब मैंने अपने बज्ज पर इसे शेयर किया था और आपके ब्लॉग के बारे में मैंने वहां एक कमेन्ट भी लिखा था, "That's what I called a real blogging. A real Web-Log." :)
@PD ji bilkul sahi kaha lapoojhanna ke baare mein....bahut hi umda lekhan ka udaahran hai..:)..encouragement ke liye dhanyavaad...:)
Thanks! These kind of gestures mean a whole world to me.
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